मां

कैसी होती है मां?

ममता और वात्सल्य से सराबोर  होती है ,मां…

एक औरत जब किसी बच्चे को जन्म देती है, उसी क्षण से वह अपना वजूद भूल जाती है,भूल जाती है कि उसका भी अपना एक जीवन है ।

अपने बच्चे की परवरिश में वह इतना खो जाती है कि उसे याद ही नहीं रहता कि उसके बच्चे के अलावा भी उसकी और दुनिया है ।

बच्चे के बड़े होने के एक एक पल को अपनी आंखों में सँजोकर रखती है।

उसके हंसने पर वह हंसती है और उसके रोने पर रोती है।

उसके लिए रात रात भर जागकर उसकी देखभाल करती है। ढाल बनकर हर मोड़ पर उसकी रक्षा करती है , उसे हर बुरी नजर से बचाकर रखती है।

उसकी छोटी छोटी गलतियों को खुद तो नजर अंदाज करती ही  है और चाहती है कि बाकी लोग भी ऐसा ही करें।

उसे पढ़ाती है, लिखाती है, नए नए सपने देखना सिखाती है।

परीक्षा में अपने बच्चे के साथ साथ पढ़ती है। बच्चे को कुछ याद हो न हो पर मां को पूरी किताब मुंह जुबानी याद हो जाती है ।

उसकी जीत पर वह जश्न मनाती है, मिठाई बांटती है। उसकी  हार में वह उसका हौसला भी बढ़ाती है।

एक मां अपने बच्चे के लिए क्या कुछ नहीं करती और अपनी इस कुर्बानी के बदले में वह कुछ भी नहीं चाहती, बस चाहती है तो सिर्फ़ इतना कि मरते दम तक उसका बच्चा उससे प्यार से बोले । ऐसा जिसके भी जीवन में होता है उसका पूरा जीवन स्वर्ग बन जाता है।

पर …… सब की किस्मत में ऐसा स्वर्ग कहां?

मां को स्वर्ग मिले न मिले , मां की कितनी भी दयनीय स्थिति क्यों न हो जाए पर मां अपनी ममता लुटाना नही भूलती।

ऐसी होती है मां , सबसे प्यारी ।

– Kiran Yadav

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